High BP
High BPहाई ब्लड प्रेशर: जिसे हाइपरटेंशन भी कहा जाता है, इसे अक्सर “साइलेंट किलर” के रूप में जाना जाता है। यह धीरे-धीरे रक्त वाहिकाओं और हृदय को नुकसान पहुंचाता है। जब रक्तचाप लगातार ऊँचा रहता है, तो हृदय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है, और यदि समय पर पहचान और उपचार नहीं किया गया, तो यह हृदयाघात, हृदय विफलता और अन्य गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।
कोरोनरी आर्टरी डिजीज (CAD)
हाई ब्लड प्रेशर के कारण हृदय की धमनियों की दीवारें मोटी और कठोर हो जाती हैं। इनमें वसा और कोलेस्ट्रॉल का जमाव होने लगता है, जिससे रक्त प्रवाह में कमी आती है। इसके लक्षणों में सीने में दर्द, सांस लेने में कठिनाई और थकान शामिल हैं। समय पर रक्तचाप को नियंत्रित करके इस बीमारी से बचा जा सकता है।
एंजाइना
हाई बीपी के कारण धमनियों में संकुचन होता है, जिससे हृदय को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। इसका परिणाम एंजाइना होता है, जिसमें छाती में दर्द या जलन महसूस होती है। यदि दर्द आराम करने पर भी नहीं जाता, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
हार्ट अटैक
हाई ब्लड प्रेशर से उत्पन्न प्लाक अचानक फट सकती है, जिससे रक्त का थक्का बनता है। यह रक्त प्रवाह को रोकता है और हृदय की मांसपेशियों में ऑक्सीजन की कमी पैदा कर सकता है। कुछ ही मिनटों में हार्ट अटैक की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
लेफ्ट वेंट्रिकुलर हाइपरट्रॉफी (LVH)
लगातार अधिक मेहनत करने से हृदय का बायां हिस्सा मोटा और कठोर हो जाता है, जिसे लेफ्ट वेंट्रिकुलर हाइपरट्रॉफी कहा जाता है। शुरू में इसके लक्षण दिखाई नहीं देते, लेकिन धीरे-धीरे थकान, सांस फूलना और सूजन जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसे नियंत्रित न करने पर यह हृदय विफलता में बदल सकता है।
हार्ट फेल्योर
कई बार हृदय की पंपिंग सामान्य दिखती है, लेकिन वह सही तरीके से भर नहीं पाता। हाई बीपी से हृदय की दीवारें कठोर हो जाती हैं और रक्त प्रवाह कम हो जाता है। इसे HFpEF कहा जाता है और यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है।
अनियमित धड़कन (Arrhythmia)
लंबे समय तक हाई बीपी रहने से हृदय का संरचना और इलेक्ट्रिकल सिस्टम प्रभावित होता है। इससे धड़कनें अनियमित और तेज हो जाती हैं, जिसे एट्रियल फिब्रिलेशन कहा जाता है। इसके लक्षणों में तेज धड़कन, चक्कर और थकान शामिल हैं।
माइक्रो वैस्कुलर एंजाइम
हाई ब्लड प्रेशर हृदय की छोटी रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करता है। ये कोशिकाएं कठोर हो जाती हैं और फैल नहीं पातीं, जिससे ऑक्सीजन की कमी होती है। इसके लक्षणों में छाती में दर्द और थकान दिखाई देते हैं।
जानकारी का स्रोत
Disclaimer: यह लेख केवल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी सामान्य जानकारियों पर आधारित है।
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